लोन मोरेटोरियम मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) ने शनिवार को हलफनामा दायर किया। इसके
जरिए बैंक ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से प्रभावित इलाकों में राहत देना संभव नहीं है। बैंक का
कहना है कि 6 माह से अधिक का समय देने का मतलब पूरी तरह से क्रेडिट से जुड़े नियमों भंग करना
है। RBI की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि दो करोड़ तक के कर्ज के लिए ‘ब्याज पर ब्याज’
माफ किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र
के लिए नुकसानदेह होगा।
RBI ने हलफनामे में कहा कि छह महीने से अधिक मोरेटोरियम लोन लेने वालों का क्रेडिट व्यवहार
प्रभावित होगा। साथ ही निर्धारित भुगतानों को फिर से चालू करने में देरी हो सकती है जिससे अर्थव्यवस्था
में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर भी असर होगा। RBI ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि पहले ही
सरकार ने 2 करोड़ तक के छोटे कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने का फैसला किया है और अब कर्ज
का भुगतान न करने वाले सभी खातों को एनपीए घोषित करने पर लगी रोक को हटा देना चाहिए,
ताकि बैंकिंग व्यवस्था में सुधार हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्तूबर तक नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। इस मामले की
अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन
जजों की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की। इससे पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को
एक अक्टूबर तक हलफनामा दायर करने का समय दिया था और बैंकों से अभी NPA घोषित नहीं
करने को कहा गया था।
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