कुलपति प्रो. केजी सुरेश। पिछले एक साल से अधिक समय से ऐसे बहुत कम विषय रहे हैं, जो सुखदायक हों या जिनसे संतोष किया जा सके। अब सबकी निगाहें आम बजट पर हैं, जो एक फरवरी को पेश होने जा रहा है।
शिक्षा क्षेत्र को भी इस बजट से कई सारी उम्मीदें हैं। बीते दिनों शिक्षा क्षेत्र पर सरकार का फोकस सबने देखा है।
चाहे वो नई शिक्षा नीति लाना हो या मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करना,
लेकिन कोरोना महामारी ने शिक्षा क्षेत्र की जरूरतों को कई अधिक बढ़ा दिया है।
कोरोना संकट से पैदा हुई वित्तीय स्थिति को देखते हुए नई शिक्षा नीति की अनुशंसा के अनुसार,
शिक्षा के लिए छह फीसद बजट मुश्किल लगता है, लेकिन शिक्षा के लिए बजट में
पिछले साल से अधिक आवंटन की उम्मीद जरूर करते हैं।
ब्लैंडेड एजुकेशन की है आवश्यकता
कोरोना काल में देशभर में स्कूल-कॉलेज बंद रहे और छात्रों व शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा की ओर आना पड़ा। इसी तरह ऑनलाइन एजुकेशन के फायदे भी लोगों को पता चले। भले ही कोरोना वैक्सीन आ गई हो, लेकिन शिक्षा क्षेत्र में अब ब्लैंडेड एजुकेशन की आवश्यकता जोर पकड़ रही है। अब सिर्फ किसी बिल्डिंग के अंदर दी जाने वाली शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से शैक्षणिक गतिविधियों के जारी रहने की जरूरत है।
ऑनलाइन एजुकेशन में सबसे बड़ी रुकावट है इंटरनेट की समस्या। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंडविड्थ की समस्या है। ऐसे में वाई-फाई और ब्रॉडबैंड सेवाओं के विस्तार की जरूरत है।
कोरोनाकाल के दौरान कई समृद्ध राज्यों में भी इंटरनेट संबंधी समस्याएं देखी गई थीं। बजट में दूरसंचार क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाकर इससे निपटा जा सकता है। इससे ऑनलाइन एजुकेशन को मजबूती मिलेगी।
ऑनलाइन एजुकेशन में दूसरी रुकावट है,
छात्रों के पास गैजेट्स की कमी। कुछ राज्य सरकारें विद्यार्थियों को लैपटॉप बांटने की योजनाएं लेकर आई थीं, लेकिन वे सफल नहीं हो पायीं। विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन एजुकेशन के लिए कम से कम एक स्मार्टफोन तो होना ही चाहिए। सरकार बजट में शिक्षण संस्थाओं को गेजेट्स प्रदान करने का प्रावधान ला सकती है, जिससे ये संस्थान विद्यार्थियों तक इन्हें पहुंचा सकें।
बजट में इस पर जरूर फोकस होना चाहिए। आम लोगों पर एजुटेक का खर्च कम आए,