आयकर में बदलाव से लेकर विनिर्माण को बढ़ावा, बजट को लेकर होंगी ये प्रमुख उम्मीदें

23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार का तीसरा बजट होगा और निर्मला सीतारमण के लिए यह लगातार सातवां बजट होगा। यह बजट सरकार के विजन और सुधार एजेंडे को लेकर महत्वपूर्ण होगा। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने इस बजट के लिए पांच मुख्य थीम की पहचान की है।

nirmala sitharaman

23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार का तीसरा बजट होगा और निर्मला सीतारमण के लिए यह लगातार सातवां बजट होगा। यह बजट सरकार के विजन और सुधार एजेंडे को लेकर महत्वपूर्ण होगा। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने इस बजट के लिए पांच मुख्य थीम की पहचान की है।

नोमुरा के विश्लेषक सोनल वर्मा और ऑरोदीप नंदी का मानना है कि सरकार वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को जीडीपी के 5.1% से घटाकर 5% कर देगी। यह कदम सरकार के राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

बजट को आकार देने वाली पांच थीम:

आयकर में बदलाव की उम्मीद:

उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए, सरकार नई कर व्यवस्था के तहत करदाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाने पर विचार कर सकती है। इसके अलावा, बैंक ब्याज से प्राप्त आय के लिए छूट सीमा में भी वृद्धि हो सकती है। 5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय वाले व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत आयकर दरों में कमी की संभावना है।

विनिर्माण को बढ़ावा देना:

नोमुरा का अनुमान है कि सरकार घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए इस बजट में कुछ नए बदलाव पेश कर सकती है। इसमें सार्वजनिक खरीद के लिए न्यूनतम स्थानीय सामग्री की आवश्यकता को बढ़ाना और नई विनिर्माण सुविधाओं के लिए 15% रियायती कॉर्पोरेट कर दर को बहाल करना शामिल हो सकता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स वैश्विक मूल्य श्रृंखला को एकीकृत करने पर 2019 की नीति में संशोधन किया जा सकता है। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को इलेक्ट्रॉनिक घटकों तक भी विस्तारित किए जाने की उम्मीद है।

सामाजिक क्षेत्र में व्यय बढ़ाना:

बजट में विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है। इसमें आवास के लिए सब्सिडी में वृद्धि, जिसका अनुमान 23,000 करोड़ रुपये है, शामिल हो सकता है। साथ ही ग्रामीण सड़कों और रोजगार पहलों के लिए फंडिंग बढ़ाई जा सकती है। सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम का विस्तार कर सकती है और महिलाओं के लिए "लखपति दीदी" आर्थिक सशक्तिकरण पहल को फिर से शुरू कर सकती है।

बुनियादी ढांचे का विकास:

सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (capex) सरकार की आर्थिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा। नोमुरा ने कुल पूंजीगत व्यय में वृद्धि का अनुमान लगाया है। नोमुरा के मुताबिक, यह अंतरिम बजट में 3.4% से बढ़कर जीडीपी का 3.5% हो जाएगा। राज्य की मांगों के जवाब में, सरकार बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के लिए 50 साल की ब्याज मुक्त ऋण योजना के तहत बिना शर्त ट्रांसफर को भी बढ़ा सकती है।

मध्यम अवधि का आर्थिक दृष्टिकोण स्थापित करना:

यह बजट हाल के चुनावों के बाद पहला महत्वपूर्ण वित्तीय रोडमैप है, जो सरकार के लिए अपने मध्यम अवधि के आर्थिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि यह एक व्यापक योजना होगी जो 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की भारत की आकांक्षा को रेखांकित करेगी। इसमें अगले पांच वर्षों के लिए विशिष्ट उद्देश्यों का विवरण होगा।