ड्रोन उद्योग ऊंची उड़ान भरने को तैयार है, लेकिन सवाल है कि क्या इसे बजट में प्रोत्साहन मिलेगा?

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन उद्योग का केंद्र बनाया जाए और तब तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ड्रोन उद्योग की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत हो। ड्रोन उद्योग भी मानता है कि यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को अगले आम बजट में कुछ प्रोत्साहन देने होंगे।

drone budget

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन उद्योग का केंद्र बनाया जाए और तब तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ड्रोन उद्योग की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत हो। ड्रोन उद्योग भी मानता है कि यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को अगले आम बजट में कुछ प्रोत्साहन देने होंगे।

विशेष रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए ड्रोन में उपयोग होने वाले उपकरणों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में उपयोग होने वाले ड्रोन की कीमतें कम होंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्ष 2021 में ड्रोन उद्योग में उदारीकरण की नीति लागू की गई थी, अब इसके दूसरे चरण की शुरुआत होनी चाहिए।

फिक्की और ईएंडवाई की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में ड्रोन उद्योग का आकार 81,600 करोड़ रुपये होने का अनुमान है और वर्ष 2030 तक यह 2.50 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी के अलावा कृषि, बीमा, स्वास्थ्य और खुदरा कारोबार में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सकता है।

ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत

भारत में ड्रोन का बाजार अभी छोटा है, लेकिन प्रारंभिक दौर में ही इस उद्योग में 300 से ज्यादा स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, जिससे हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। संभावनाओं को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की है, जो कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे सकती है।

ड्रोन उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगला कदम देश के विभिन्न इलाकों में प्रशिक्षण केंद्र और औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने की दिशा में उठाना चाहिए। दक्ष ड्रोन के वाइस प्रेसिडेंट जी रवि चंद का कहना है कि सरकार को तकनीक आधारित प्रोत्साहन देने पर विचार करना चाहिए। भविष्य की मांग को देखते हुए देश में कई इनक्यूबेशन केंद्र भी खोले जाने चाहिए।

किसानों के लिए मदगार ड्रोन

आप्टिमस इन्फ्राकॉम के चेयरमैन अशोक गुप्ता का कहना है कि भारतीय ड्रोन कंपनियां वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनने की क्षमता रखती हैं। सरकार से मिलने वाली मदद से पूरी इकोनमी को फायदा होगा। सरकार को वैश्विक स्तर पर सस्ती दर पर उपकरण खरीदने में मदद करनी चाहिए, जो उद्योग के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा।

यह उद्योग पीएम नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन के अनुरूप काम कर रहा है। कृषि ड्रोन 2.25 लाख रुपये में बाजार में उपलब्ध है, जिससे किसान सिर्फ सात मिनट में एक एकड़ खेत में उर्वरक छिड़काव कर सकता है। यह किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

PIL योजना का हो विस्तार

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व में लागू प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PIL) स्कीम का भी विस्तार होना चाहिए। PIL के तहत अभी तक ड्रोन उद्योग से जुड़ी कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। ड्रोन उद्योग के लिए नीति बनाने वाले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने बजट के संदर्भ में वित्त मंत्रालय को सुझाव दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक प्रमुख मांग यह है कि ड्रोन उद्योग से जुड़े उपकरणों के निर्माण के लिए आम बजट से और ज्यादा राशि आवंटित की जाए।