भगवान जगन्नाथ के भक्त अक्सर उनके दर्शन के लिए बड़े उत्साह से दौड़ते थे,जानिए यह कथा

हर साल जगन्नाथ यात्रा में लाखों भक्त हिस्सा लेने के लिए यहां आते हैं। इस यात्रा में उमड़ी भीड़ से ही लोगों की इस रथ यात्रा के प्रति श्रद्धा का अनुभव किया जा सकता है। भगवान जगन्नाथ के प्रिय भोग में खिचड़ी भी शामिल है, जिसके पीछे एक खास कथा है। आज हम आपको भगवान जगन्नाथ से जुड़ी इस विशेष कथा के बारे में बताएंगे।

lord jagannath

हर साल जगन्नाथ यात्रा में लाखों भक्त हिस्सा लेने के लिए यहां आते हैं। इस यात्रा में उमड़ी भीड़ से ही लोगों की इस रथ यात्रा के प्रति श्रद्धा का अनुभव किया जा सकता है। भगवान जगन्नाथ के प्रिय भोग में खिचड़ी भी शामिल है, जिसके पीछे एक खास कथा है। आज हम आपको भगवान जगन्नाथ से जुड़ी इस विशेष कथा के बारे में बताएंगे।

वृद्ध भक्त की पुत्रवत सेवा

कथा के अनुसार, एक वृद्ध महिला जिसका नाम कर्माबाई था, वह भगवान बाल जगन्नाथ की पुत्रवत सेवा करती थीं। वह बड़े प्यार से प्रभु की सेवा करती थीं। सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले वह जगन्नाथ जी के लिए खिचड़ी तैयार करतीं और उन्हें भोग लगातीं। इस दौरान वह स्नान करने का ध्यान नहीं रखती थीं। एक दिन एक पुजारी ने उनसे कहा कि तुम्हें स्नान करने के बाद ही भगवान के लिए भोग बनाना चाहिए।

साधु के कहने पर नियम में बदलाव

साधु की सलाह मानते हुए, अगले दिन कर्माबाई ने स्नान करने के बाद भगवान के लिए भोग तैयार किया। इसके बाद उन्होंने भगवान जगन्नाथ को भोग ग्रहण करने के लिए पुकारा। भगवान जगन्नाथ आए और बोले कि आज आपको इतनी देर कैसे हो गई। कर्माबाई ने खिचड़ी परोसी और भगवान ने जल्दी-जल्दी खिचड़ी खाई ताकि वह समय पर मंदिर जा सकें।

पुजारी ने जब मंदिर के पट खोले

जब पुजारी ने मंदिर के पट खोले, तो देखा कि भगवान जगन्नाथ के मुख पर खिचड़ी लगी हुई है। पुजारी को यह समझ नहीं आया। उस रात पुजारी के सपने में भगवान जगन्नाथ आए और कहा कि मैं रोज कर्माबाई के घर पर खिचड़ी खाकर आता हूं। आज उन्होंने साधु की सलाह पर स्नान के बाद खिचड़ी बनाई, जिससे मुझे देर हो गई। इसलिए तुम कर्माबाई को समझाओ कि वह पहले की तरह ही मेरी सेवा करें। अगले दिन पुजारी ने कर्माबाई को समझाया और वह पहले की तरह ही प्रभु की सेवा करने लगीं।