वट सावित्री व्रत के दौरान इन बातों को न करें अनदेखा, जीवन में आ सकती है परेशानी
हिंदू धर्म में त्योहारों और व्रतों का विशेष महत्व है। आज हम वट सावित्री व्रत के बारे में बात करेंगे, जो हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 6 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह माना जाता है कि इस व्रत के पालन से परिवार में सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में त्योहारों और व्रतों का विशेष महत्व है। आज हम वट सावित्री व्रत के बारे में बात करेंगे, जो हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 6 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह माना जाता है कि इस व्रत के पालन से परिवार में सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल साड़ी पहनें।
- बरगद के पेड़ के नीचे और पूजा स्थल को साफ करें।
- अशुद्धियों को दूर करने के लिए थोड़ा गंगाजल छिड़कें।
- एक बांस की टोकरी में सप्तधान्य भरकर उसमें ब्रह्मा जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- दूसरी टोकरी में भी सप्तधान्य भरकर उसमें सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा रखें।
- इस दूसरी टोकरी को पहली टोकरी के बाईं ओर रखें।
- इन दोनों टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे रखें।
- पेड़ पर चावल के आटे से छाप लगाएं।
- पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं।
- वट वृक्ष की परिक्रमा करें।
- वट सावित्री व्रत की कथा सुनें।
- बड़ों का आशीर्वाद लें।
- गरीबों की मदद करें।
- तामसिक चीजों से दूर रहें।
- पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- एक टोकरी में फल, अनाज, कपड़े आदि रखकर किसी ब्राह्मण को दान करें।
इस प्रकार, वट सावित्री व्रत को विधिपूर्वक करने से परिवार में सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
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