सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम कैसे पड़ा और इसका महत्व क्या है, इसके पीछे की पौराणिक कथा इस प्रकार है

हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं और हर सोमवार को व्रत रखकर शिवालय जाते हैं। कहा जाता है कि इस पवित्र समय में भगवान शिव के मंदिर जाना बहुत शुभ होता है। खासकर, अगर 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक का दर्शन कर लिया जाए, तो जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और खुशहाली आती है।

somnath mandir

हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्त भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं और हर सोमवार को व्रत रखकर शिवालय जाते हैं। कहा जाता है कि इस पवित्र समय में भगवान शिव के मंदिर जाना बहुत शुभ होता है। खासकर, अगर 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक का दर्शन कर लिया जाए, तो जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और खुशहाली आती है।

आज हम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा करेंगे:

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और इसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव साक्षात वास करते हैं और जो भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, कुंडली से चंद्रमा का अशुभ प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।

सोमनाथ नाम की उत्पत्ति

शिवपुराण के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने चंद्र देव को श्राप दिया था कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन कम होता जाएगा। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने सरस्वती नदी के निकट इस दिव्य ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके श्राप को समाप्त कर दिया। चंद्र देव ने शिव जी से यहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहने की प्रार्थना की, जिसे भगवान शिव ने स्वीकार कर लिया।

चंद्र देव को सोम के नाम से भी जाना जाता है और उन्होंने शिव जी को अपना नाथ मानकर तपस्या की थी। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां दर्शन करने से व्यक्ति के सभी दुखों का अंत हो जाता है।