योगिनी एकादशी पर पापों से ऐसे पाएं मुक्ति, जीवन में आएंगी खुशियां

एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो इस बार 02 जुलाई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने से साधक के सभी जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।

yogini ekadashi

एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो इस बार 02 जुलाई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने से साधक के सभी जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।

मिलते हैं ये लाभ

भगवान विष्णु के श्री हरि स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और विवाह के योग बनते हैं। इसके अतिरिक्त, भय और तनाव भी समाप्त होते हैं।

श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं  

शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं  

नभोनीलकायं दुरावारमायं  

सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं  

जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं  

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं  

हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं  

जलान्तर्विहारं धराभारहारं  

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं  

ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥

जराजन्महीनं परानन्दपीनं  

समाधानलीनं सदैवानवीनं  

जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं  

त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥

कृताम्नायगानं खगाधीशयानं  

विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं  

स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं  

निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं  

जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं  

सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं  

सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं  

गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं  

सदा युद्धधीरं महावीरवीरं  

महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमावामभागं तलानग्रनागं  

कृताधीनयागं गतारागरागं  

मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं  

गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥

फलश्रुति

जो व्यक्ति मन को स्थिर कर इस अष्टक का पाठ नियमित रूप से करता है, उसे भगवान विष्णु के धाम में स्थान प्राप्त होता है और वह जन्म, बुढ़ापा और शोक से मुक्त हो जाता है।