आज से 50 साल पहले, पहली बार बारकोड का इस्तेमाल च्वीइंगम के पैकेट पर किया गया था और उसे स्कैन किया गया था।

आज से ठीक 50 साल पहले, 26 जून 1974 को पहला यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड (UPC) स्कैन किया गया था। यह ऐतिहासिक घटना ओहियो के ट्रॉय स्थित मार्श सुपरमार्केट में घटी थी, जब च्वीइंगम के पैकेट का बारकोड स्कैन किया गया। यहीं से रिटेल और सप्लाई चेन ऑटोमेशन की क्रांति की शुरुआत हुई।

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आज से ठीक 50 साल पहले, 26 जून 1974 को पहला यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड (UPC) स्कैन किया गया था। यह ऐतिहासिक घटना ओहियो के ट्रॉय स्थित मार्श सुपरमार्केट में घटी थी, जब च्वीइंगम के पैकेट का बारकोड स्कैन किया गया। यहीं से रिटेल और सप्लाई चेन ऑटोमेशन की क्रांति की शुरुआत हुई।

हालांकि, बारकोड का आविष्कार 1949 में नॉर्मन जोसेफ वुडलैंड और बर्नार्ड सिल्वर ने किया था, लेकिन 3 अप्रैल 1973 तक इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के रिटेल स्टोर्स में मानक के रूप में नहीं अपनाया गया था।

बारकोड क्या होता है?

बारकोड एक विशेष कोड होता है जो नंबर और लाइनों के फॉर्मेट में होता है। इसे मशीन से रीड किया जाता है, जैसे ही मशीन इसे स्कैन करती है, कोड के पीछे छुपी सारी जानकारियाँ सामने आ जाती हैं। 

आमतौर पर बारकोड किसी प्रोडक्ट पर देखा जाता है। इसे स्कैन करने पर प्रोडक्ट से जुड़ी सारी जानकारियाँ मिल जाती हैं। आज के समय में बारकोड व्यवसायों के लिए बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि इसके जरिए प्रोडक्ट से जुड़ी कई दूसरी जानकारियाँ भी ट्रैक की जा सकती हैं।

बारकोड बनाने का तरीका

आज के समय में घर बैठे कुछ आसान स्टेप्स को फॉलो कर बारकोड क्रिएट किया जा सकता है। सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि किस तरह के बारकोड की जरूरत है और इसके लिए डेटा तैयार रखना होगा।

बारकोड बनाने के लिए सबसे पहले बारकोड जनरेटर की जरूरत होती है। इंटरनेट पर कई तरह के बारकोड जनरेटर उपलब्ध हैं, जैसे बारकोड्स इंक। इसके बाद डेटा दर्ज करना होता है, जैसे प्रोडक्ट का नाम, प्राइस आदि। फिर अपनी पसंद का फॉन्ट, आकार और रंग चुनना होता है। एक बार जब टूल बारकोड बना लेता है, तो इसे चेक करना होता है। बारकोड स्कैनर या फोन में बारकोड रीड करने वाले ऐप की मदद से इसे चेक किया जा सकता है।

बारकोड का उपयोग

1. सुपरमार्केट और रिटेलर द्वारा बेची गई वस्तुओं और इन्वेंट्री को ट्रैक करने में।

2. लाइब्रेरी में पाठकों द्वारा ली गई किताबों की पहचान और ट्रैकिंग में।

3. मैन्युफैक्चरर और शिपर्स द्वारा किसी प्रोडक्ट की मूवमेंट ट्रैक करने में।

4. अस्पतालों में मरीजों की पहचान के लिए।

5. कर्मचारियों के काम के घंटों को ट्रैक करने के लिए।

बारकोड का उपयोग आज कई क्षेत्रों में हो रहा है और यह प्रोडक्ट की जानकारी को आसानी से ट्रैक और प्रबंधित करने का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है।